Friday 30 August 2013

डिप्रेशन – कारण और निवारण

डिप्रेशन – कारण और निवारण

What is depression? /  अवसाद क्या है?

जीवन में कभी-कभार low feel करना एक सामान्य बात है. लेकिन जब ये एहसास बहुत समय तक बना रहे और आपका साथ ना छोड़े तो ये depression या अवसाद हो सकता है. ऐसे में जीवन  बड़ा नीरस और खाली-खाली सा लगने लगता है . ऐसे में ना दोस्त अच्छे लगते हैं और ना ही किसी और काम में मन लगता है. Life hopeless लगने लगती है और positive बातें भी negative लगने लगती हैं. यदि आपके साथ भी ऐसा होता है तो घबराने की ज़रुरत नहीं है. ज़रुरत है depression के symptoms और कारणों को समझने की और फिर उसका इलाज करने की.
हम सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं.कभी सफलता मिलने पर बहुत ख़ुशी मिलती है तो कभी असफल होने पे इंसान दुखी हो जाता है. कई बार लोग छोटे-मोटे दुःख को भी depression का नाम दे देते हैं, जो कि बिलकुल गलत है. Depression normal sadness से बहुत अलग होता है. आइये इसकी परिभाषा को समझते हैं:
According to MediLexicon’s Medical Dictionary, depression is “a mental state or chronic mental disorder characterized by feelings of sadness, loneliness, despair, low self-esteem, and self-reproach; accompanying signs include psychomotor retardation (or less frequently agitation), withdrawal from social contact, and vegetative states such as loss of appetite and insomnia.”
“अवसाद एक ऐसी मानसिक स्थिति  या स्थायी मानसिक विकार है जिसमे व्यक्ति को  उदासी, अकेलापन, निराशा, कम आत्मसम्मान, और आत्मप्रतारणा महसूस  होती  है ; इसके संकेत मानस – मिति संबंधी मंदता , समाज से कटना ,और ऐसी स्थितिया जिसमे  की कम भूख लगना और अत्यधिक नीद आना में नज़र आते हैं.”
ध्यान देने कि बात है कि आम तौर पर होने वाली tension या दुःख का अवसाद से कोई लेना-देना नहीं है.

 Depression के लक्षण  ?

यदि आपको नीचे दिए गए symptoms में से एक या अधिक आपके साथ match करते  दीखते  हैं  तो आपके depressed होने की सम्भावना है:
  • या तो आपको नीद नहीं आती या बहुत अधिक नीद आती है.
  • आप ध्यान नहीं केन्द्रित कर पाते और जो काम आप पहले आसानी से कर लेते थे उन्हें करने में कठिनाई होती है.
  • आप hopeless और helpless feel करते हैं.
  • आप चाहे जितनी कोशिश करें पर अपनी negative thoughts  को  नहीं रोक पाते हैं.
  • या तो आपको भूख नहीं लगती या आप बहुत ज्यादा खाते हैं.
  • आप पहले से कहीं जल्दी irritate या aggressive हो जाते हैं, और गुस्सा करने लगते हैं.
  • आप normal से कहीं ज्यादा शराब पीते हैं.
  • आपको लगता है कि ज़िन्दगी जीने लायक नहीं है और आपके मन में suicidal thoughts आते हैं.( ऐसा है तो तुरंत इलाज़ कराएं)

Depression and suicide

बहुत ज्यादा Depression की वज़ह से व्यक्ति आत्महत्या करने तक की सोच सकता है. Depression के दौरान व्यक्ति खुद को बिलकुल असहाय महसूस कर सकता है और उसे सभी समस्याओं  का हल अपनी life end करने में नज़र आने लगता है.यदि कोई आपसे आत्महत्या करने जैसी बातें करता है तो संभवतः वो depression से ग्रसित है , और वो सिर्फ आपको अपनी बात ही नहीं बता रहा है बल्कि वो मदद के लिए चिल्ला रहा है, और आपको उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए. और यदि आप खुद को ऐसा करते देख रहे हैं तो बिना देरी किये आपको experts की मदद लेनी चाहिए.

यदि आप किसी में इन बातों को देखते हैं तो वो आत्महत्या के लिए चेतावनी हो सकती है:

  • अपने को मारने या ख़तम करने के बारे में बात करना.
  • अचानक ही लोगों को goodbye करने के लिए मिलना या phone करना.
  • बिना वजह अपनी संपत्ति या अन्य valuable चीजों को औरों को देना.
  • ऐसी भावनाएं व्यक्त करना जिससे व्यक्ति बहुत ही असहाय और उलझा हुआ प्रतीत हो.
  • हमेशा मरने सम्बन्धी बातें करना.
  • असामान्य व्यवहार  करना जैसे कि बिना वजह red-light jump  करना.
  • असामान्य बातें करना जैसे, ” मेरे ना रहने से किसी को फरक नहीं पड़ता.”
  • अचानक ही एकदम depressed होना और फिर ख़ुशी जाहिर करने लगना.
यदि आपको लगता है कि आपका कोई friend या relative suicide करने के बारे में सोच रहा है तो तुरंत ही उसे professional help दिलाइये. Suicidal thoughts और feelings के बारे में openly बात करना किसी की जान बचा सकता है.
पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों में depression अलग-अलग तरह से होता है. इसके बारे में awareness रखना, समस्या को सही तरीके से समझने और उसका निवारण करने में मदद करता है:

पुरूषों में अवसाद :

Depressed पुरुषों में ऐसी ही महिलाओं की अपेक्षा कम निराशा और self-hatred  देखी जाती है. इसकी जगह वो थके होने, चिडचिड़ा होने, नीद ना आने ,काम में मन ना लगने जैसी शिकायतें  करते  हैं.  अवसाद के कुछ और लक्षण जैसे कि गुस्सा आना, आक्रामक होना, हिंसा करना , लापरवाह होना और अधिक शराब पीना भी ऐसे पुरुषों में देखे जा सकते हैं. हालांकि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा depressed होने के chances double होते हैं पर पुरुषों में आत्महत्या की प्रवित्ति ज्यादा होती है.

महिलाओं में अवसाद :

महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा depressed होने के chances double होते हैं, इसकी कुछ वजहें hormones से related होती हैं, खासतौर से  premenstrual syndrome  (महावारी पूर्व सिंड्रोम PMS), premenstrual dysphoric disorder (PMDD), postpartum depression, and perimenopausal depression. महिलाओं में depression के लक्षण ज्यादा खाने, ज्यादा सोने, weight बढ़ने , अपराध-बोध होने , निराश होने के रूप में नज़र आते हैं.

किशोरावस्था में अवसाद :

कुछ depressed teens दीखते हैं पर कुछ नहीं. दर-असल teenagers में अत्यधिक चिडचिड़ापन अवसाद का सबसे बड़ा लक्षण होता है. एक depressed teenager आसानी से क्रोधित हो सकता है, दूसरों से बुरा व्यवहार कर सकता है और उसे बिना कारण बदन में दर्द की शिकायत कर सकता है. बच्चों पर माता-पिता द्वारा पढाई के लिए डाला गया अत्यधिक दबाव और दूसरों से comparison भी depression का स्रोत हो सकता है.यदि ऐसे teens का उपचार ना किया जाये तो उन्हें घर और स्कूल में दिक्कत आ सकती है, ऐसे बच्चे आसानी से drugs लेना शुरू कर सकते हैं, और उनमे आत्महत्या की प्रवित्ति भी आ सकती है. लेकिन मदद मिलने पर इसका इलाज तेजी से हो सकता है.

बुजुर्गों में अवसाद :

Old age के साथ साथ आने वाली परेशानियां जैसे कि – वियोग, health problems, दूसरों पे  निर्भरता, income कम होना, इत्यादि व्यक्ति को अवसाद्ग्रसित कर सकता है. लेकिन बुढापे के साथ depression होना  कोई  आम बात नहीं है. ऐसे बुजुर्ग emotional से ज्यादा physical problems की अधिक complaint करते  हैं . इसी लिए अधिकतर उनकी depression सम्बंधित समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं जाता है. आये दिन तबियत खराब होने की शिकायत करना depression का सूचक हो सकती हैं.

Depression के कारण 

कुछ बीमारीओं के सटीक कारण होते हैं, जिससे उनका इलाज़ आसान हो जाता है. Diabetes (मधुमेह) है तो insulin ले लीजिये, appendicitis (पथरी) है तो surgery करा लीजिये. लेकिन depression थोड़ी जटिल बीमारी है. ये सिर्फ मस्तिष्क में हो रहे chemical imbalance की वजह से ही नहीं बल्कि कोई अन्य जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारणों से भी हो सकता है. दुसरे शब्दों में कहें तो ये आपकी lifestyle, आपकी relations, आप  समस्याओं को कैसे handle करते  हैं, इन बातों की वजह से भी हो सकता है. पर कुछ factors depression होने के chances बढ़ा देते हैं:
  • अकेलापन
  • Social support की कमी
  • वित्तीय समस्याएं
  • हाल में हुए तनावपूर्ण अनुभव
  • वैवाहिक या अन्य  रिश्तों में खटास
  • खराब बचपन
  • शराब या अन्य नशीली दवाओं का सेवन
  • बेरोजगारी
  • Work pressure
Depression का सही कारण समझना उसके इलाज को आसान बना सकता है. जैसे कि यदि कोई अपनी नौकरी से परेशान होने की वजह से depression में जा रहा है तो उसके लिए किसी antidepressant लेने की जगह कोई अन्य अच्छी नौकरी या रोजगार कहीं ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. यदि आप अकेलेपन की वजह से परेशान हैं तो  दोस्तों के साथ वक़्त बिताना या कोई अच्छी hobby pursue करना आपके लिए ज्यादा लाभदायक हो सकता है. ऐसे cases में परिस्थितियां बद्लालने मात्र से अवसाद से छुटकारा पाया जा सकता है.

कैसे पार पाएं depression से  :

जिस प्रकार अलग अलग लोगों में depression के लक्षण और कारण अलग अलग होते हैं, उसी प्रकार  इससे पार पाने के तरीके भी अलग अलग होते हैं.जो उपाय एक व्यक्ति के लिए काम कर जाये वो दुसरे के लिए भी करे ऐसा ज़रूरी नहीं है, और ज्यादातर cases में इलाज कि कोई एक विधि पर्याप्त नहीं होती. यदि आपको खुद में या आपके किसी शुभचिंतक में अवसाद के लक्षण नज़र आते हैं तो treatment options को explore करने में कुछ वक़्त लगाइए. अधिकतर मामलों में सबसे बढिए approach इन उपायों का combination होती हैं :  social support, lifestyle changes, emotional skills building, and professional help.
मदद मांगिये:
 यदि आपको लगता है कि आप depression में जा रहे हैं या already depressed हैं तो इस बात को छुपाइये नहीं, और ना ही सिको लेकर हीन महसूस कीजिये क्योंकि depression एक बहुत ही common illness है , और इसका उपचार पूर्णतः संभव है. इसे छिपाना इसे बढ़ावा देने जैसा है , अपने घर-परिवार में इसको discuss कीजिये , अपने अभिन्न मित्रों से भी सलाह मशविरा कीजिये. यदि कोई ना हो तो आप सीधे किसी psychologist से  भी  मिल सकते हैं.
अपनी  lifestyle improve कीजिये :
ऐसा आप इन तरीकों से कर सकते हैं:
  • रिश्तों में सुधार ला कर
  • रोज व्यायाम करके
  • सेहत से भरपूर भोजन करके
  • Relaxation techniques प्रयोग करके
  • नकारात्मक सोच बदल कर

Emotional Skills develop करिए :

बहुत लोग तनाव को सही से deal नहीं  कर पाते हैं और भावुक हो जाते हैं. Emotional skills आपको विपरीत परिस्थितियों में अपना balance बनाये रखने में मदद करती हैं.इसके लिए आप stress management से सम्बंधित कोई short-term course कर सकते हैं.

पेशेवर से मदद लीजिये :

यदि इन सब चीजों से बात ना बने तो किसी mental health professional से हेल्प लीजिये . Depression के treatment के लिए कई प्रभावकारी तरीके हैं: जैसे कि थेरेपी , दवाएं, alternative treatments इत्यादि. Exactly क्या तरीका use करना है ये आपके depression के  कारणों  पर  depend करेगा.

इन बातों पर भी ध्यान दीजिये:

  • डिप्रेशन शब्द का प्रयोग कम से कम कीजिये.
  • छोटी-मोटी परेशानियों को भूलकर भी डिप्रेशन का नाम मत दीजिये. ऐसा करने से आपका अवचेतन मस्तिष्क इस बात को घर कर सकता है और आपके सच में डिप्रेशन के मरीज बनने के संयोग बढ़ जायेंगे.
  • अच्छी चीजें पढ़ें जो आपके अन्दर positivity लाएं.  AchhiKhabar.Com पर आपको ऐसे ढेरों लेख मिल जायेंगे.
  • नकारात्मक सोच रखने वालों से दूरी बना कर रखें.
  • इस बात को समझे कि life में जबतक असफलता नहीं होगी तबतक सफलता का मोल भी नहीं समझ आएगा. इसलिए असफलता को हर-एक चीज का अंत मत समझिये.

क्या करें यदि कोई अन्य संकट में हो ?

 यदि आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हों जो depression की वजह से कोई गलत कदम उठाने जा रहा हो या उस बारे में सोच रहा हो तो:
  • तुरंत उसके सगे-सम्बन्धियों को आगाह करें. परिवार के तरफ से मिली थोड़ी सी सहानभूति किसी कि जान बचा सकती है.
  • उस व्यक्ति को कत्तई अकेला ना छोड़ें.
  • उसे इस Helpline number पर बात कराएं, या करने को कहें .इस नंबर पर निःशुल्क counselling की सुविधा उपलब्ध है. यह मुंबई का नम्बर है,इसे मैंने खुद check किया है , यह काम करता है.

24×7 Helpline: 022-27546669

Suicide करना है तो हमेशा के लिए करो-Osho

Diabetes / डाईबीटीज Facts and Tips

Diabetes / डाईबीटीज Facts and Tips

Diabetes (मधुमेह)  एक बहुत ही आम और खतरनाक बिमारी है. भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति को diabetes है.आज हम इसी बीमारी के बारें में detail में जानने की कोशिश करेंगे.

क्या होता है मधुमेह ?

मधुमेह एक ऐसी बीमारी हैं जिसमें रोगी के खून में ग्लूकोज़ की मात्रा (blood sugar level) आवश्यकता से अधिक हो जाती है.ऐसा  दो  वजहों  से  हो सकता है : या तो आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में insulin नहीं produce कर रहा है या फिर आपके cells produce हो रही इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं कर रहे. इंसुलिन एक हारमोन है जो आपके शरीर में carbohydrate और fat के metabolism को कण्ट्रोल करता है.मेटाबोलिज्म से अर्थ है उस प्रक्रिया से जिसमे शरीर खाने को पचाता है ताकि शरीर को उर्जा मिल सके और उसका विकास हो सके.
 हम जो खाना खाते हैं वो पेट में जाकर energy में बदलता है जिसे glucose कहते हैं.  अब काम होता है इस energy/glucose को हमारे body में मौजूद लाखों cells के अन्दर पहुचाना, और ये काम तभी संभव है जब हमारे pancreas (अग्न्याशय) पर्याप्त मात्रा में insulin produce करें. बिना इंसुलिन के glucose cells में प्रवेश नहीं कर सकता. और तब हमारे cells ग्लूकोज़ को जला कर शरीर को उर्जा पहुंचाते हैं. जब यह प्रक्रिया सामान्य रूप से नहीं हो पाती तो व्यक्ति मधुमेह से ग्रस्त हो जाता है.
सामान्य स्वस्थ व्यक्ति में खाने के पहले blood में glucose का level  70 से 100 mg./dl रहता है। खाने के बाद यह level 120-140 mg/dl हो जाता है और फिर धीरे-धीरे कम होता चला जाता है। पर मधुमेह हो जाने पर यह level सामन्य नहीं हो पाता और extreme cases में 500 mg/dl से भी उपार चला जाता है.

मधुमेह के प्रकार: 

  1. Type 1 diabetes: यह तब होता है जब आपकी body insulin बनाना बंद कर देती है. ऐसे में मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है . इसे  insulin-dependent diabetes mellitus, IDDM भी  कहते  हैं
  2. Type 2 diabetes: यह तब होता है जब आपके cells produce हो रही इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करते.  इसे non-insulin-dependent diabetes mellitus, NIDDM भी  कहते  हैं
  3. Gestational diabetes:ये ऐसी महिलाओं को होता है जो गर्भवती हों और उन्हें पहले कभी diabetes ना हुआ हो.ऐसा pregnancy के दौरान खून में ग्लूकोज़ की मात्रा (blood sugar level) आवश्यकता से अधिक हो जाने के कारण होता h is when pregnant women, who have never had diabetes before, have a high blood glucose level during pregnancy. It may precede development of type 2 DM.
Diabetes से सम्बंधित कुछ facts:
  • Type 2 Diabetes से ग्रस्त लोग स्वस्थ्य लोगों की अपेक्षा 5 – 10 साल पहले मर जाते हैं.
  • Type 2 Diabetes सबसे common form of Diabetes है.
  • Diabetes किसी भी age group के लोगों को हो सकता है, बच्चों को भी.
  • भारत में,इलाज ना करा पाने के कारण हर साल करीब 27000 बच्चे मधुमेह की वजह से मर जाते हैं.
  • भारत में 5 में से 1 व्यक्ति diabetes से प्रभावित है.
  • अगर इसे control ना किया जाये तो ये heart-attack,blindness, stroke (आघात), या kidney failure में result कर सकता है.
  • स्वस्थ खा कर और physical activity  को बढ़ा कर टाइप २ मधुमेह को 80 % तक रोका जा सकता है.
  • यह एक अनुवांशिक बिमारी है. यानि यदि परिवार में पहले किसी को ये बिमारी रही हो तो आपको भी हो सकती है.

Diabetes हो जाने पर क्या करें:

  • नियमित रूप से blood sugar की जांच कराते रहे.
  • परहेज करना बहुत ही आवशयक है, असावधानी बाद में घातक हो सकती है. बाद में blindness, amputation या dialysis का सामना करने  से कहीं आसान होगा परहेज करना.
  • दवाओं के सेवन को हलके में ना लें , और डॉक्टर के बताये हुए समय पर दावा अवश्य लें.
  • स्वस्थ खाएं और active रहे. व्यायाम करके इस काफी हद तक control किया जा सकता है.
  • संभव हो तो खाना खाने के लिए अपने जैसा ही साथी चुने, इससे अपने जीभ को control करना आसान होगा.
  • पर्याप्त मात्रा में नीद लें.
  • सुबह या शाम को टहलने की आदत डालें.

 Diabetes के Symptoms

  • अधिक प्यास या भूख लगना
  • अचानक वज़न का घट जाना
  • लगातार कमजोरी और थकावट महसूस करना
  • घाव भरने में ज्यादा वक़्त लगना
  • बार-बार पेशाब होना
  • चीजों का धुंधला नज़र आना
  •  त्वचा में संक्रमण होना और खुजली होना

Diabetes में किन खाने-पीने  की चीजों को avoid करें :

धूम्रपान,चीनी, मिठाई,ग्लूकोज, मुरब्बा, गुड़, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री, मीठा बिस्कुट,चॉकलेट, शीतल पेय, गाढ़ा दूध, क्रीम,तला हुआ भोजन,मक्खन, घी, और हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल, सफेद आटा,जंक फूड,कुकीज़, डिब्बा बंद और संरक्षित खाद्य पदार्थ, इत्यादि.

Diabetes में किन खाने-पीने  की चीजों का सेवन कम करें :

नमक , मीट, मछली ,अंडा ,अल्कोहल, चाय,कॉफी, शहद , नारियल, अन्य नट, unsweetened जूस ,sea food ,इत्यादि.

Diabetes में किन खाने-पीने  की चीजों का सेवन करें :

खूब पानी पीएं ,अंगूर,अनार का रस, भारतीय ब्लैकबेरी, केला,सेब, अंजीर,  काली बेरी, कीवी फल, खट्टे,फल,ककड़ी, सलाद पत्ता, प्याज, लहसुन ,मूली,टमाटर, गाजर, पत्तियों, पालक शलजम, गोभी और  रंगीन सब्जियों, बिना शक्कर फलों के रस, कच्चा केला,कच्ची मूंगफली, टमाटर, केले,खरबूजे, सूखे मटर, आलू, सेब साइडर सिरका, स्किम्ड दूधपाउडर, गेहूं,दलिया, बादाम, मटर, अनाज,छोला, बंगाल चना , काला चना,दाल , मकई , सोया अंकुरित फलियां, रोटी,गेहूं की भूसी, whole grain bread,मट्ठा, दही, इत्यादि.

स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय

स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय
Ayurveda Article in Hindi
निरोग रहने के लिए अपनाएं आयुर्वेद
दोस्तों आज मैं आपके साथ शरीर को स्वस्थ्य रखने से सम्बंधित एक ज्ञानवर्धक लेख share कर रहा हूँ. यह लेख राजस्थान के रहने वाले  डॉ. नीरज यादव ने  लिखा है. आयुर्वेद में दक्ष Dr.Neeraj, कविताओं और ग़ज़लों का भी शौक रखते हैं. तो आइये जानते हैं उनकी expert advice:
स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणम्
 बारिश में भीगकर सर्दी का उपचार कराने से बेहतर है कि  -
बारिश आने के पूर्व ही छाता लगाकर अपना बचाव कर लिया जाए।
रोगी होकर चिकित्सा कराने से अच्छा है कि बीमार ही न पड़ा जाए। आयुर्वेद का प्रयोजन भी यही है। स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा एवं रोगी के रोग का शमन। आयुर्वेद की दिनचर्या, ऋतुचर्या, विहार से सम्बन्धित छोटे-छोटे किन्तु महत्वपूर्ण सूत्रों को अपने दैनिक जीवन में सहज रूप से धारण कर हम अपने आपको स्वस्थ एवं निरोगी बनाए रख सकते हैं -

   स्वस्थ रहने के स्वर्णिम सूत्र  

  • सदा ब्रह्ममुहूर्त (पातः 4-5 बजे) में उठना चाहिए। इस समय प्रकृति  मुक्तहस्त  से स्वास्थ्य, प्राणवायु, प्रसन्नता, मेघा, बुद्धि की वर्षा करती है।
  • बिस्तर से उठते ही मूत्र त्याग के पश्चात उषा पान अर्थात बासी मुँह 2-3 गिलास शीतल जल के सेवन की आदत सिरदर्द, अम्लपित्त, कब्ज, मोटापा, रक्तचाप, नैत्र रोग, अपच सहित कई रोगों से हमारा बचाव करती है।
  • स्नान सदा सामान्य शीतल जल से करना चाहिए। (जहाँ निषेध न हो)
  • स्नान के समय सर्वप्रथम जल सिर पर डालना चाहिए, ऐसा करने से मस्तिष्क की गर्मी पैरों से निकल जाती है।
  • दिन में 2 बार मुँह में जल भरकर, नैत्रों को शीतल जल से धोना नेत्र दृष्टि के लिए लाभकारी है।
  • नहाने से पूर्व, सोने से पूर्व एवं भोजन के पश्चात् मूत्र त्याग अवश्य करना चाहिए। यह आदत आपको कमर दर्द, पथरी तथा मूत्र सम्बन्धी बीमारियों से बचाती है।
  • सरसों, तिल या अन्य औषधीय तेल की मालिश नित्यप्रति करने से वात विकार,, बुढ़ापा, थकावट नहीं होती है। त्वचा सुन्दर , दृष्टि स्वच्छ एवं शरीर पुष्ट होता है।
  • शरीर की क्षमतानुसार प्रातः भ्रमण, योग, व्यायाम करना चाहिए।
  • अपच, कब्ज, अजीर्ण, मोटापा जैसी बीमारियों से बचने के लिए भोजन के 30 मिनट पहले तथा 30 मिनट बाद तक जल नहीं पीना चाहिए। भोजन के साथ जल नहीं पीना चाहिए। घूँट-दो घूँट ले सकते हैं।
  • दिनभर में 3-4 लीटर जल थोड़ा-थोड़ा करके पीते रहना चाहिए।
  • भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • भोजन के उपरान्त वज्रासन में  5-10 मिनट बैठना तथा बांयी करवट 5-10 मिनट लेटना चाहिए।
  • भोजन के तुरन्त बाद दौड़ना, तैरना, नहाना, मैथुन करना स्वास्थ्य के बहुत हानिकारक है।
  • भोजन करके तत्काल सो जाने से पाचनशक्ति का नाश हो जाता है जिसमें अजीर्ण, कब्ज, आध्मान, अम्लपित्त (प्दकपहमेजपवदए ब्वदेजपचंजपवदए ळंेजतपजपेए ।बपकपजल) जैसी व्याधियाँ हो जाती है। इसलिए सायं का भोजन सोने से 2 घन्टे पूर्व हल्का एवं सुपाच्य करना चाहिए।
  • शरीर एवं मन को तरोताजा एवं क्रियाशील रखने के लिए औसतन 6-7 घन्टे की नींद आवश्यक है।
  • गर्मी के अलावा अन्य ऋतुओं में दिन में सोने एवं रात्री में अधिक देर तक जगने से शरीर में भारीपन, ज्वर, जुकाम, सिर दर्द एवं अग्निमांध होता है।
  • दूध के साथ दही, नीबू, नमक, तिल उड़द, जामुन, मूली, मछली, करेला आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। त्वचा रोग एवं ।ससमतहल होने की सम्भावना रहती है।
  • स्वास्थ्य चाहने वाले व्यक्ति को मूत्र, मल, शुक्र, अपानवायु, वमन, छींक, डकार, जंभाई, प्यास, आँसू नींद और परिश्रमजन्य श्वास के वेगों को उत्पन्न होने के साथ ही शरीर से बाहर निकाल देना चाहिए।
  • रात्री में सोने से पूर्व दाँतों की सफाई, नैत्रों की सफाई एवं पैरों को शीतल जल से धोकर सोना चाहिए।
  • रात्री में  शयन से पूर्व अपने किये गये कार्यों की समीक्षा कर अगले दिन की कार्य योजना बनानी चाहिए। तत्पश्चात् गहरी एवं लम्बी सहज श्वास लेकर शरीर को एवं मन को शिथिल करना चाहिए। शान्त मन से अपने दैनिक क्रियाकलाप, तनाव, चिन्ता, विचार सब परात्म चेतना को सौंपकर निश्चिंत भाव से निद्रा की गोद में जाना चाहिए।

दिल की सुनने में आने वाले 7 challenges !

दिल  की  सुनने  में  आने  वाले  7 challenges !

हम  अक्सर  सुनते  हैं  कि  हमें  अपने  दिल की सुननी चाहिए …जिस  काम  में  मन  लगे  वो  करना  चाहिए …अपने  passion को  follow करना  चाहिए …, उसी को अपना career बनाना चाहिए …etc.  ये  बातें  बिलकुल  सही  हैं , मैंने  खुद  भी  अपने  कुछ  articles में  इन चीजों पर जोर दिया है ,  पर एक सच ये भी है कि  हममे  से  ज्यादातर  लोग  ऐसा  नहीं  करते. तो सवाल उठता है कि क्यों ज्यादातर लोग लाइफ में जो आसानी से मिल जाता है उसे ही अपनी किस्मत मान लेते हैं और  बस  यूँही  सस्ते  में  अपनी  ज़िन्दगी  बिता  देते  हैं ?
ऐसा शायद   इसलिए  होता  है  क्योंकि  दिल  की  सुनना   आसान  नहीं  होता …इसमें  कई  challenges आते  हैं , और  आज  मैं  ऐसे  ही  कुछ  challenges के  बारे में  आपसे  अपनी  thoughts share कर  रहा  हूँ .  इन्हें  share करने  का  मेरा  motive ये  है  कि  यदि  आप  उनमे  से  हैं  जो   अपने  सपनो   को  पूरा  करने  में  लगे  हैं  या future में लगने वाले हैं तो   इन  challenges से  घबराएं  नहीं …आप  अकेले  इनका  सामना  नहीं  कर  रहे  हैं …आपकी  gene का  हर  आदमी  more or less in challenges को  face करता है ,  कुछ इनके आगे निकल  जाते  हैं तो कुछ हार मान लेते  हैं. अब ये आप पर depend करता है कि आप क्या करते हैं!!!
तो आइये जानते हैं इन 7 challenges को :
1)      Society का  opposition:
यदि  आपका  passion लीक  से   हटकर  हो  तो  आप  को  समाज  के  विरोध  के  लिए  तैयार  रहना  चाहिए . सबसे  ज्यादा  opposition तो  आपकी  family से  ही  हो सकता है …क्योंकि  वही  आपकी   सबसे  अधिक  चिंता  करते  हैं . ख़ास  तौर  पर  middle class families जहाँ  job को  ही  सबसे  safe माना  जाता  है  वहां  यदि  आप  कुछ  entrepreneurial करने  का  सोचते  हैं  तो  family आपके  खिलाफ  हो  जाती  है . उनका विरोध  human nature के इस fact को दर्शाता है कि हम unknown या  कुछ  नए  को  accept करने  से  डरते  हैं  ….पर  जब  आप  अपने  काम  में  लगे  रहते  हैं  तो  धीरे  धीरे  वही  लोग  आपकी  मदद  में  सामने  आ   जाते  हैं . इसलिए  इस  initial opposition को  part of process समझें  और  इससे  घबराये  नहीं . जहाँ  तक  हो  सके  बस  अपनी  family को  confidence में  लेने  का  प्रयास  करें , बाकियों  का  तो  सोचे  भी  नहीं .
2)      दोस्त  आगे  निकल  जाते  हैं :
सभी  का  अपना -अपना  friend circle होता  है , मौज – मस्ती  होती  है .. exam की  tension होती  है … हम  बड़े  होते  हैं  और  फिर  ज़िन्दगी  की  so called race में  लग  जाते  हैं …..ज्यादातर   लोग  conventional wisdom अपनाते  हुए , doctor ,engineer, सरकारी  नौकरी …etc के  चक्कर  में  लग जाते  हैं  और  देर -सबेर  इसमें  कामयाब  भी  हो  जाते  हैं . अगर  सचमुच  आप  दिल  से  यही  करना  चाहते  थे तो  इसमें  कोई  बुराई  नहीं  है ….दिल  की  सुनना  हमेशा ….singer , cricketer या  actor बनना ही नहीं  होता ….ये  Engineer, doctor बन  कर  देश  की  सेवा  करना  भी  हो  सकता  है .  और  एक  दूसरे  case में  भी  यह  करना  सही  है – जब  आप  clear नहीं  होते  की  आप  दरअसल  life में  करना  क्या  चाहते  हैं,  तो  भी  आप  यही  रास्ता  चुन सकते हैं  ..इसमें  कम  से  कम  आप  financially secure रहेंगे , जो  कि  बेहद  ज़रूरी  है .
Challenge तब  आता  है  जब  आप  अपने  life goals को  लेकर  clear होते  हैं , और  अपने  रास्ते  पर  निकल  पड़ते  हैं .  और  ऐसा  life की  किसी  भी stage में    हो  सकता  है , पहले  हो  जाता  है  तो  ठीक  है , पर  अधिकतर  ये  clarity थोड़ी  देर  से  आती  है  इसलिए  जब  आप  इस  दिशा  में  बढ़ते  हैं  तो  आप  पाते  हैं  कि  अभी  आपने  शुरुआत  भर  की  है  और  आपके  बाकी  दोस्त  conventional path follow करते  हुए  एक  well- settled life ( society की  नज़र  में ) की  तरफ  बढ़  चुके  हैं .  यहाँ  आपको  थोड़ी  उलझन  हो  सकती  है , आपके  मन  में  doubt आ  सकता  है  कि  आप  ही  की  उम्र  के  लोग  इतने  पैसे  कमा  रहे  हैं  और  आप  अभी  struggle ही  कर  रहे हैं …..ऐसा  लग  सकता  है  कि  आप  कहीं  गलती  तो  नहीं  कर  रहे  हैं , और  यहीं  पर  आपको  डंटे  रहना  है .
अपने  काम  में  believe करिए , इन  distractions की  life बहुत  छोटी  होती  है , अगर  आप  सचमुच  अपने  काम  को  लेकर  passionate हैं  तो  आप  जल्द  ही  इनसे  पार  पा  लेंगे .  जब  अमिताभ  बच्चन  को  27-28 साल  की  उम्र  में  पहली  बार   फिल्मो में  ब्रेक  मिला  था  तो  उस  वक़्त  तक  उनके  भी  बहुत  सारे  classmates अच्छी  नौकरियों  में   settle हो  चुके थे , ऐसे  में उनके  भी  अन्दर  सवाल  उठे  होंगे , पर  उन्होंने  उन  distractions को  खुद  पर  हावी  नहीं  होने  दिया  और  इतने  महान  अभिनेता  बने .
आप  भी  औरों   के  आगे  निकलने  से  परेशान  मत  होइए , ….लम्बी  race के  घोड़े  शुरू  में  धीमे-धीमे  ही  दौड़ते  हैं .
3)      सफलता  के  लिए  लम्बा  इंतज़ार :
कई  बार  लोग  कामयाबी  के  बहुत  करीब  पहुच  कर  हार  मान  लेते  हैं . आपको  ध्यान  देना  होगा  कि  आप  अपने  काम  को  अंजाम  तक  पहुचाएं , किसी  भी  काम  को  करने  में  time तो  लगता  ही  है  और  जब  काम  बड़ा  हो  तो  समय  भी  बड़ा  लगता  है .
Kentucky Fried Chicken (KFC) के founder Colonel Sanders ने जब अपनी business idea के लिए लोगों को convince करना चाहा तो उन्हें हज़ार से भी  अधिक बार ना सुननी पड़ी. वह अपनी कार में एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और restaurant मालिकों से मिलते रहे , और इस दौरान कई बार उन्हें अपनी कार में ही सोना पड़ता था. पर इतनी ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी चिकन बनाने की secret recipe पर यकीन था और देर से ही सही पर उन्हें सफलता मिली और आज KFC दुनिया भर में एक successful brand के रूप में जाना जाता है.
4)      आपके  दिल  का  काम  financially rewarding ….नहीं  भी  हो  सकता  है  :
May be आप  जिस  चीज  को  लेकर  passionate हैं  वो  आपको  satisfaction तो  दे  पर  उतने  पैसे  ना दे . For example आप  as a social activist काम  करना  चाहते  हों , या  किसी  NGO के  लिए  अपना  time देना  चाहते  हों .  तो  ऐसे  में  आपको  पहले  से  अपना  mind make-up कर  के  रखना  होगा  कि  आप  वो  पा  रहे  हैं  जो  पैसे  से  नहीं  पाया  जा  सकता  और  इसी  सोच  के  साथ  आपको  अपने  काम  में  लगे  रहना  होता  है .
यहाँ  मैं एक  चीज  ज़रूर  कहना चाहूँगा  कि  ऐसी  fields में  भी  जब  आप  fully involved हो  कर  काम  करते  हैं  तो  देर -सबेर  आपको  financially भी  इसका  reward मिलता  है , आप  निःस्वार्थ  भाव  से  अपने  काम  में  लगे  रहिये  आपका  काम  ही  आपका  reward है .
5)      Boredom:
 ऐसा भी  होता  है  कि आप   जिस  चीज को  करना बहुत अधिक  पसंद  करते  हैं  उसी  को  करने  में  बोरीयत  होने  लगे , ऐसे  में  आपको  ये  नहीं  सोचना  चाहिए  कि  आपका  passion ख़तम  हो  गया  है  बल्कि  अपने  काम  को  interesting बनाने  के  लिए  नए  तरीके  और  ideas खोजने  चाहिए . कुछ  दिन  में  खुद -बखुद  boredom ख़तम  हो  जायेगा  और  आप  फिर  से  उसी  जोशो -जूनून  के  साथ  अपने  dream को  pursue कर  पायेंगे .
इतना  ध्यान  रखिये  कि  अपने  दिल  की  सुनने  वाला  हर एक  सफल  व्यक्ति  कभी  ना  कभी  इस  phase से  गुजरता  है  इसलिए  अगर  आप  भी  इस  phase से  गुजरें तो  just be relaxed….ये  भी  सफलता   के  मार्ग  में  आने  वाले  एक  पड़ाव  भर  है .
6)      Focus loose करना  :
I think ये  सबसे  बड़ा  challenge है  जो  ज्यादातर  सपनो  को  पूरा  नहीं  होने  देता . मेरी तरह आपने भी कई  बार  लोगों  को  यह  कहते   सुना होगा   कि  , “ Well begun is half done….पहला  step लेना  ही  सबसे  कठिन  है  उसके  बाद  सब  हो  जाता  है ….etc” पर  मुझे  लगता  है  कि  पहला  step लेना  आसान  है , आप  कोई  भी  काम  कुछ  effort डाल  कर  शुरू  कर  सकते  हैं …कठिन  तो  उसे  पूरा करना है, उसमे सफलता पाना है.
होता  क्या  है  कि  आप  पूरी  energy के  साथ  अपने  दिल  के  कहे  रास्ते  पर  बढ़ते  हैं  , पर  कुछ दूर  जाने  के  बाद  ही  आपको  कई  नए  alternatives दिखने  लगते  हैं ….आपके  मन  में  आने  लगता  है  कि  शायद  ये  काम  छोड़  कर  वो  करें  तो  ज्यादा  अच्छा  रहेगा … फिर  आप  जो  कर  रहे  होते  हैं  उसमे  आपका  focus कम  होने  लगता  है …आप  दूसरी  idea की  तरफ  attract होने  लगते  हैं …और  ऐसा  करने  से  आप  जो  कर  रहे  होते  हैं  उसमे  भी  आप  अपना  100% नहीं  दे  पाते  हैं  and ultimately success से  दूर  रह  जाते  हैं . इसलिए  ज़रूरी  है  कि  आप  अपने  आगाज़  को  अंजाम  तक  पहुंचाएं , बीच  में  अपना  focus ना  loose करें .
स्वामी विवेकानंद ने  भी  सफल  होने  के  लिए  यही  मन्त्र  दिया  है , “
“ एक विचार लो . उस  विचार  को  अपना जीवन  बना  लो - उसके  बारे  में  सोचो  उसके  सपने  देखो , उस  विचार  को  जियो  . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर  के  हर  हिस्से  को  उस विचार में  डूब  जाने  दो , और  बाकी  सभी विचार  को  किनारे  रख  दो . यही सफल  होने  का तरीका  है.”
7)      आपको  ये  पता  चलना  कि  आप  जो  कर  रहे  हैं  वो  आपका  passion नहीं  है :
Shockingggg !!! लेकिन  ये  एक  बहुत  ही  common  scenario है, भले ही आप खुद इसे accept करने से कतराएं  .
हर  दिन  हर  पल  हम  बदल  रहे  हैं , हम  तब  तक  अपनी  true liking नहीं  जान  पाते  जब  तक  हम  उस  काम  को  practically कर  के  नहीं  देखते . हम  कोई  article पढ़  के , कोई  program देख  के, किसी  दोस्त  के  influence में , या  किसी  और  वजह  से  किसी  काम  को   अपना  passion समझ  लेते  हैं  और  उसे  करना  शुरू  करते  हैं  पर  कुछ  दिनों  बाद  ही  हम उस  काम  से  उबने  लगते  हैं , to the extent that हम  उसे  करना  ही  नहीं  चाहते . यह  कुछ  कुछ  Boredom जैसा  ही  है  पर  ये  boredom का  बहुत बड़ा और बिगड़ा हुआ रूप  है  जिसमे  आप  धीरे -धीरे  उस  काम  को  ना  करने  के  excuses खोजने  लगते  हैं .
जब  ऐसा  हो  तो  क्या  करें ? Simple, अपने  नए  passion की  तालाश  शुरू  करें , और  उसे  भी  practically apply करके  देखें , और  अगर  इस  बार  भी  आपको  लगे  कि ये आपके  दिल  की  आवाज़  नहीं  है  तो  फिर  अपने  असली  जूनून  को  खोजने  में  जुट  जाएं .  ये  जीवन  भर  बेमन  का  काम  करने  से  अच्छा  है  कि  देर  से  ही  सही  पर  आप  अपना  passion खोज  पाएं , और  जब  तक  आपको  यह  नहीं  मिलता  तब  तक  खुद  को  financially support करने  के  लिए  कुछ  और  भी  करते  रहे ,may be a 9 to 5 job…tuition पढ़ाना …family business….etc, पर  अपने  passion की  तालाश   को  रोकें  नहीं …उसे  खोज  निकालें …एक दिन यही  खोज  आपको  mediocre life से निकाल  कर  superior life की  तरफ  ले जायेगी.
Friends, तो  ये  थे  वो  सात  challenges जो  आमतौर  पर  आपको   दिल  की  आवाज़  सुनने   में  face करने  पड़ सकते  हैं , पर ध्यान रहे कि ये  कोई  comprehensive list नहीं  है  , इसके  आलावा  भी  कई  और  challenges हैं  जो  आपके  सामने  आ  सकते  हैं  , जैसे  कि  पैसों  की  कमी , परिवार  की  जिम्मेदारी , etc. पर  इन  सब  के  बावजूद passionate लोग  वो  सब  कुछ  कर  गुजरते  हैं  जो  वो  करना  चाहते  हैं ….आप  भी  इन  challenges की  वजह  से  अपने  जोश  को  ठंढा  मत  पड़ने  दीजिये  और  अपने  dreams को  reality बना  कर  दिखाइए , तभी  जीने  का  असली  मजा  है .
All the best :)
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कैसे सीखें अंग्रेजी बोलना ? 12 Ideas

कैसे  सीखें  अंग्रेजी  बोलना ?

इस  article में  मैं  Spoken English सीखने  से  सम्बंधित  अपनी  thoughts share कर  रहा  हूँ , यह  मेरा  व्यक्तिगत  दृष्टिकोण   है  और  आप  इससे  पूरी  तरह   असहमत  भी  हो  सकते  हैं , पर  यदि  इससे  कुछ  लोगों  को  फायदा  पहुँचता  है  तो  मुझे  ख़ुशी  होगी.  :)
दोस्तों  हमारे  देश  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखना एक  बहुत  बड़ा  business है . ख़ास  तौर पे  छोटे  शहरों   में  इसका  कुछ  ज्यादा  ही  craze है . आपको  जगह -जगह  English Speaking से  related ads दिख  जायेंगे , “ 90 घंटे  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखें ,”, ”फर्राटेदार  अंग्रेजी  के  लिए  join  करें   XYZ School of Language” etc.
पर  क्या  यह school सचमुच  इतने  effective हैं ? शायद  नहीं ! क्योंकि  वो  पहले  ही  गलत  expectation set कर  देते  हैं ! मात्र  90 घंटे   सीखकर   किसी  भाषा  को आसानी  के  साथ  बोलना  बहुत मुश्किल है . हाँ , ये   हो  सकता  है  कि  कुछ  दिन  वहां  जाकर  आप  पहले  की  अपेक्षा  थोडा  और  fluent हो  जाएं  , पर  ऐसे कम  ही  लोग  होते हैं जो सचमुच अपनी इंग्लिश बोलने की काबीलियत का  श्रेय  ऐसे school को दे सकें.अगर आप  पहले  से  ठीक-ठाक अंग्रेजी बोल लेते हैं और  तब  ऐसी  जगह  जाते  हैं  तो  यह  आपके  लिए  फायदेमंद  हो  सकता  है , नहीं  तो  आपके  लिए  अच्छा  होगा  कि   आप  इस  mindset के  साथ  जाइये  कि  ऐसे  school में  जाकर  आप  एक  start कर  सकते  हैं  पर  यहाँ  से  निकलने  के  बाद  भी आपको  काफी  दिनों  तक  पूरी  dedication के  साथ  लगे  रहना  होगा .
तो  आइये  सबसे  पहले  मैं  आपके  साथ  अंग्रेजी  बोलने  से  सम्बंधित  कुछ  myths share करता  हूँ :
English बोलने  के  लिए  grammar अच्छे  से  आना  चाहिए : यह  एक  बहुत  बड़ा  myth है , आप  ही  सोचिये  कि  जब  आपने  हिंदी  बोलना  सीखा  तो  क्या  आपको  संज्ञा , सर्वनाम , इत्यादि  के  बारे  में  पता  था ?  नहीं  पता  था , क्योंकि  उसकी  जरूरत  ही  नहीं  पड़ी  वो  तो  बस  आपने  दूसरों  को  देखकर -सुनकर  सीख  लिया . उसी  तरह  अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  भी  Grammar की  knowledge जरूरी  नहीं  है . English Medium school से अच्छी  शिक्षा मिलने  के  कारण  मैं  अच्छी  English बोल  लेता  हूँ , पर  यदि  आप  मेरा  Tenses का  test लें  तो  मेरा  पास  होना  भी  मुश्किल  होगा .:)
कुछ  ही  दिनों  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखा  जा  सकता  है : गलत ! अपनी  मात्र  भाषा  से  अलग  कोई  भी  भाषा  सीखने  में  समय  लगता  है . कितना  समय  लगेगा  यह person to person differ करेगा . पर  मेरा  मानना  है  कि  यदि  कोई  पहले  से  थोड़ी  बहुत  अंग्रेजी  जानता  है और  वो  dedicated होकर  effort करे  तो  6 महीने  में  अच्छी  अंग्रेजी  बोलना  सीख  सकता  है .और  यदि  आप  सीख  ही  रहे  हैं  तो  कामचलाऊ  मत  सीखिए , अच्छी  English सीखिए .
English Medium से पढने वाले ही अच्छी अंग्रेजी बोल पाते हैं: यह  भी  गलत  है . अपने  घर  की  ही  बात  करूँ  तो  मेरे  बड़े  भैया  ने  Hindi Medium से  पढाई  की  है , पर  आज   वो  बतौर  Senior Consultant काम  करते  हैं  और  बहुत  अच्छी  English लिखते – बोलते  हैं . यदि  आपको  ऐसी  schooling नहीं  मिली  जहाँ  आप  अंग्रेजी बोलना  सीख  पाए  तो  उसपर  अफ़सोस  मत  कीजिये , जो  पहले  हुआ  वो  past है , present तो  आपके  हाथ  में  है  जो  चीज  आप  पहले  नहीं  सीख  पाए  वो  अब  सीख  सकते  हैं , in fact as an adult आप  अपनी  हर  उपलब्धि  या  नाकामयाबी  के  लिए  खुद   जिम्मेदार  हैं.
अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  अच्छी   vocabulary होना  जरूरी  है : नहीं , vocabulary जितनी  अच्छी  है  उतना  अच्छा   है , पर   generally आम -बोल  चाल  में  जितने  words बोले  जाते  हैं , वो  आपको  पहले   से  ही  पता  होंगे या थोड़ी सी मेहनत से आप इन्हें जान जायेंगे.  दरअसल  हम  जो  words जानते  हैं  बस  उन्ही  को  सही  जगह  place करने  की  बात  होती  है . मैंने कई बार लोगों को एक से एक कठिन words की meaning रटते देखा है, पर ऐसा करना आपकी energy  ऐसी जगह लगाता है जहाँ लगाने की फिलहाल ज़रुरत नहीं है.
अगर आप ऊपर दिए गए किसी मिथक को मानते हों तो अब उनसे छुटकारा पा लीजिये , और स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए नीचे दिए गये सुझावों को  अपनाइए .
12 Ideas to Learn Spoken English
स्पोकेन इंग्लिश सीखने के 12 सुझाव   
1. अपना महौल English बनाएं  : किसी  भी  भाषा  को  सीखने  में  जो  एक  चीज  सबसे  महत्त्वपूर्ण  होती  है  वो  है  हमारा  environment, हमारा  माहौल .  आखिर  हम  अपनी  मात्र -भाषा  छोटी  सी  ही  उम्र   में  कैसे  बोलने  लगते  हैं :- क्योंकि   24X7 हम  ऐसे  माहौल  में  रहते  हैं  जहाँ  वही  भाषा  बोली  , पढ़ी, और  सुनी  जाती  है .  इसीलिए  अंग्रेजी  बोलना  सीखना  है  तो  हमें  यथा  संभव  अपने  माहौल  को  English बना  देना  चाहिए .  इसके  लिए  आप  ऐसा  कुछ  कर  सकते  हैं:
•         हिंदी  अखबार  की  जगह  English Newspaper पढना  शुरू  कीजिये .
•         हिंदी  गानों  की  जगह  अंग्रेजी  गाने  सुनिए .
•         अपने interest के English program / movies देखिये .
•         अपने  room को  जितना  English बना  सकते  हैं  बनाइये ….English posters, Hollywood actors,English  books,Cds ..जैसे  भी   हो  जितना  भी  हो  make it English.
2. ऐसे लोगों के साथ group बनाएं जो आप ही की तरह स्पोकेन इंग्लिश सीखना चाहते हों : कुछ ऐसे  दोस्त   खोजिये  जो  आप   ही  की  तरह  अंग्रेजी  बोलना सीखना  चाहते  हैं .  अगर  आपके  घर  में  ही  कोई  ऐसा  है  तो  फिर  तो  और  भी  अच्छा  है . लेकिन  अगर  ना  हो  तो  ऐसे  लोगों  को  खोजिये , और  वो  जितना  आपके  घर  के  करीब  हों  उतना अच्छा  है . ऐसे दोस्तों  से  अधिक  से  अधिक  बात  करें  और  सिर्फ  English में . हाँ  ,चाहें  तो  आप  mobile पर  भी  यही  काम  कर  सकते  हैं .
 3. कोई mentor बना लें: किसी ऐसे व्यक्ति को अपना mentor बना लें जो अच्छी English जानता हो, आपका कोई मित्र, आपका कोई रिश्तेदार, कोई पडोसी, कोई अंग्रेजी सीखाने वाला institute ….कोई भी जो आपकी मदद के लिए तैयार हो. आपको अपने मेंटर से जितनी मदद मिल सके लेनी होगी. अगर आप को मेंटर ना मिले तो भी मायूस होने की ज़रुरत नहीं है आप अपने efforts में लगे रहे , मेंटर मिलने सी आपका काम आसानी से होता लेकिन ना मिलने पर भी आप अपने प्रयास से यह भाषा सीख सकते हैं.
 4. पहले  दिन  से  ही correct English बोलने  का  प्रयास  मत  करें : अगर  आप  ऐसा  करेंगे  तो   आप   इसी  बात  में  उलझे  रह  जायेंगे  की  आप  सही  बोल  रहे  हैं  या  गलत . पहला  एक -दो  महिना  बिना  किसी  tension के   जो  मुंह  में  आये  बोले , ये  ना  सोचें  कि  आप  grammatically correct हैं  या  नहीं .  जरूरी  है  कि  आप  धीरे -धीरे  अपनी  झिझक  को  मिटाएं  .
 5. English सीखने के लिए  Alert रहे : वैसे  तो  मैं  अपनी  spoken English का  श्रेय   अपने  school St.Paul’s को  देता हूँ  पर  अंग्रेजी  के लिए  अपनी  alertness की  वजह  से  भी  मैंने  बहुत  कुछ   सीखा  है . मैं  जब  TV पर  कोई  English program देखता  था  तो  ध्यान  देता  था  की  words को  कैसे  pronounce किया  जा रहा  है , और  किसी  word को  sentence में  कैसे  use  किया  जा रहा  है . इसके  आलावा  मैंने  नए  words सीखने  के  लिए  एक  diary भी  बनायीं  थी  जिसमे  मैं  newspaper पढ़ते  वक़्त जो  words नहीं  समझ  आते  थे  वो  लिखता  था , और  उसका use  कर  के एक  sentence भी  बनता  था , इससे  word की  meaning याद  रखने  में  आसानी  होती  थी .
6. बोल  कर  पढ़ें : हर  रोज  आप  अकेले  या  अपने  group में  तेज  आवाज़  में  English का  कोई  article या  story पढ़ें . बोल -बोल  कर   पढने  से  आपका  pronunciation सही  होगा , और  बोलने  में  आत्मविश्वास  भी  बढेगा .
 7. Mirror का use करें  : मैं  English बोलना  तो  जानता  था  पर  मेरे  अन्दर  भी  fluency की  कमी  थी , इसे ठीक  करने  के  लिए  मैं  अक्सर  अकेले  शीशे  के  सामने  खड़े  होकर   English में  बोला  करता  था . और  अभी  भी  अगर  मुझे  कोई  presentation या  interview देना  होता  है  तो  मैं  शीशे   के  सामने  एक -दो  बार  practice  करके  खुद  को  तैयार  करता  हूँ .  आप  भी  अपने  घर  में  मौजूद  mirror का  इस्तेमाल  अपनी  spoken English improve करने  के  लिए  कीजिये .  शीशे  के  सामने  बोलने  का  सबसे  बड़ा  फायदा  है  कि  आप  को  कोई  झिझक  नहीं  होगी  और  आप  खुद  को  improve कर  पाएंगे .
8. Enjoy the process: English बोलना  सीखेने  को  एक  enjoyment की  तरह  देखें  इसे अपने  लिए  बोझ  ना  बनाएं .  आराम  से  आपके  लिए  जो  speed comfortable हो  उस  speed से  आगे  बढें  . पर  इसका  ये  मतलब  नहीं  है  कि  आप  अपने  प्रयत्न  एकदम  से  कम   कर  दें , बल्कि  जब  आप  इसे  enjoy करेंगे  तो  खुद -बखुद  इस  दिशा  में  आपके  efforts और  भी  बढ़  जायेंगे .  आप  ये  भी  सोचें  कि  जब  आप  fluently बोलने  लगेंगे  तब  कितना  अच्छा लगेगा  , आप  का  confidence भी  बढ़  जायेगा  और  आप  सफलता  की  तरफ  बढ़ने  लगेंगे .
 9. English में सोचना शुरू करें : जब  इंसान  मन  में  कुछ  सोचता  है  तो  naturally वो  अपनी  मात्र  भाषा  में  ही  सोचता  है . लेकिन  चूँकि  आप  English सीखने  के  लिए  committed हैं  तो  आप  जो  मन  में  सोचते  हैं  उसे  भी  English में  सोचें . यकीन  जानिये  आपके  ये  छोटे -छोटे  efforts आपको  तेजी  से  आपकी  मंजिल  तक  पंहुचा  देंगे .
10. ऐसी  चीजें   पढ़ें जो समझने में बिलकुल आसान हों: बच्चों की English comics आपकी हेल्प कर सकती है, उसमे दिए गए pictures आपको story समझने  में हेल्प करेंगे और simple sentence formation भी आम बोल चाल में बोले जाने वाले सेंटेंसेस पर आपकी पकड़  बना देंगे.
11. Internet का use करें : आप स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए इन्टरनेट का भरपूर प्रयोग करें. You Tube पर available  videos आपकी काफी हेल्प कर सकते हैं.  सही pronunciation और meaning के लिए आप TheFreeDictionary.Com का use कर सकते हैं.  AchhiKhabar.Com पर दिए गए Quotesभी आपकी मदद कर सकते हैं, चूँकि मैंने जो quotes collect किये हैं वो English और Hindi दोनों में हैं तो आप वहां से भी कुछ सीख  सकते हैं और साथ ही महापुरुषों के अनमोल विचार भी जान सकते हैं.
12. Interest मत  loose कीजिये : अधिकतर  ऐसा  होता  है  कि  लोग  बड़े  जोशो -जूनून  के  साथ  English सीखना  शुरू  करते  हैं . वो  ज्यादातर  चीजें  करते  हैं  जो  मैंने  ऊपर  बतायीं , पर  दिक्कत  ये  आती  है  कि  हर  कोई  अपनी  comfort zone में  जाना  चाहता  है . आपकी  comfort zone Hindi है  इसलिए  आपको  कुछ  दिनों  बाद  दुबारा  वो  अपनी  तरफ  खींचेगी  और  ऊपर  से  आपका  माहौल  भी  उसी  को  support करेगा . इसलिए  आपको  यहाँ  पर  थोड़ी  हिम्मत  दिखानी  होगी , अपना  interest अपना  enthusiasm बनाये  रखना  होगा .  इसके  लिए  आप  English से  related अपनी  activities में  थोडा  innovation डालिए . For example : यदि  आप  रोज़ -रोज़  serious topics पर  conversation करने से  ऊब  गए  हों  तो  कोई  abstract topic, या  फ़िल्मी   मसाले  पर  बात  करें ,  कोई इंग्लिश मूवी देखने चले जाएँ, या फिर कुछ और करें जो आपके दिमाग में आये.आप  एक -दो  दिन  का  break भी  ले  सकते  हैं , और  नए  जोश  के  साथ  फिर  से  अपने  mission पर  लग  सकते  हैं . पर  कुछ  ना  कुछ  कर  के  अपना  interest बनाये  रखें . वरना  आपका  सारा  effort waste चला  जायेगा .
Bonus Tip : Use your Television
अभी कुछ दिन पहले मैं फरीदाबाद अपने भैया के यहाँ गया था , वहां मेरा 3 साल का भतीजा बड़े मजे सेछोटा भीम कार्टून देख रहा था, मैंने notice किया कि चैनल की language English पे सेट है. I think ये एक अच्छा तरीका है इंग्लिश सीखने का, बच्चों के लिए बनाये गए कार्टून्स की भाषा सरल होती है और साथ में चल रहे एनीमेशन से बात को समझना आसान हो जाता है. आप भी इस तरीके का use कर सकते हैं.इसके आलावा आप ऐसे channels भी देख सकते हैं जिसमे subtitles आते हैं. इससे भी आपको भाषा सीखने में मदद मिलेगी.
Friends, English एक universal language है, इसे दुनिया भर में अरबों लोग बोलते हैं, तो आप ही सोचिये जो काम अरबों लोग कर सकते हैं भला आप क्यों नहीं!!! बस इतना याद रखिये कि अंग्रेजी  बोलना सीखने का सबसे सरल तरीका है “अंग्रेजी बोलना”  और इस लिए आपको ऐसे लोगों के साथ अधिक से अधिक  रहना चाहिए जिनसे आप इंग्लिश में बात कर सकते हैं. अपनी झिझक मिटाइए और ऐसे हर एक मौके का फायदा उठाइए जहाँ आपको English बोलने का मौका मिल रहा हो.
तो फिर देर किस बात की है बस लग जाइये अपने efforts में और अपने भाषा ज्ञान में अंग्रेजी भी जोड़ लीजिये.All the best! :)